हरिद्वार

तीर्थ नगरी हरिद्वार में स्वच्छ भारत अभियान को दिखाया जा रहा ठेंगा

सरेआम गंगा नगरी की सड़कों पर कूड़े के लगे ढेर हरिद्वार नगर निगम की खोल रहे पोल

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) हरिद्वार। उत्तराखंड जहां डबल इंजन सरकार राजनैतिक मंचों पर विकास कार्यों के बड़े बड़े दावे कर सुर्खियां बटोरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। तो वहीं उत्तराखंड की दुर्दशा भी किसी से छुपी नहीं। वहीं उत्तराखंड की पवित्र गंगा नगरी हरिद्वार में गंदगी के लगे ढेर स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोल रही है। जहां देश भर से श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा व आस्था के साथ पतित पावनी मां गंगा स्नान करने व पूजा अर्चना करने आते हैं तो वहीं हरिद्वार में जगह जगह कूड़े के ढेर को देख उत्तराखंड सरकार व हरिद्वार नगर निगम प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

वहीं इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि जब देवभूमि उत्तराखंड के तीर्थ स्थलों की यह दुर्दशा देखी जा रही है तो भला अन्य नगरों की हालत क्या होगी। आपको बता दें कि हरिद्वार कोतवाली नगर क्षेत्र खड़खड़ी भूपतवाला की सड़कों गलियों में कूड़े के अंबार लगे रहते हैं। जबकि इस क्षेत्र में अक्सर राजनीतिक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिसमें हरिद्वार के सम्मानित संत समाज से लेकर बड़े बड़े नेता मंत्रियों का आगमन रहता है। उसके बावजूद यहां साफ सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। वहीं मानसून के समय कूड़े के लगे ढेर से दिन भर दुर्गन्ध आती रहती है जिससे श्रद्धालुओं के साथ ही स्थानीय लोगों का निकलना दूभर हो जाता है। वहीं स्कूल आने जाने वाले बच्चों को भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

कूड़े के लगे ढेर से आने वाली दुर्गंध के कारण गम्भीर बीमारियां उत्पन्न होने का भी डर बना रहता है। वहीं भूपतवाला खड़खड़ी क्षेत्र में होटल ढाबों के आस पास कूड़े के लगे ढेर से ग्राहकों व व्यापारियों में भी रोष देखा जाता है। कई बार कूड़े के ढेर में आवारा पशु देखे जाते हैं जो पलास्टिक पॉलीथीन, व गंदगी खाते हैं। जिससे आवारा पशुओं में भी गम्भीर बीमारी फैल जाती है। भूपतवाला खड़खड़ी क्षेत्र की सड़कों पर कूड़े के लगे ढेर हरिद्वार नगर निगम प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है लेकिन हरिद्वार नगर निगम प्रशासन गहरी नींद सोया हुआ है। हरिद्वार नगर निगम प्रशासन के उच्च अधिकारीयों को गंभीरता से लेते हुए मौके पर पहुंच साफ़ सफाई की उचित व्यवस्था कराई जानी चाहिए। जिससे तीर्थ नगरी हरिद्वार में आने वाले श्रद्धालुओं व स्थानीय जनता की समस्या से निजात मिल सके। अब देखना यह होगा कि आखिर हरिद्वार नगर निगम प्रशासन कब गहरी नींद से जागता है।

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