सुन्दरकांड पारायण का पच्चीसवाँ वार्षिकोत्सव सम्पन्न
सत्संग भक्तिमसर्ग की कुंजी है: आचार्य करुणेश मिश्र

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(चिराग कुमार) हरिद्वार। जनता जिन्हें चुनती है, उन्हें ग्राम पंचायत, जिला पंचायत या फिर लोकसभा और विधान सभाओं में बैठाया जाता है, लेकिन, जिन्हें परमात्मा चुनते हैं, उन्हें ही सत्संग में बैठने का सौभाग्य प्राप्त होता है। कथावाचक तथा अध्यात्म चेतना संघ के संस्थापक आचार्य करुणेश मिश्र ने भेल के सैक्टर पाँच-बी स्थित श्री शिव-हनुमान मंदिर में साप्ताहिक (शनिवासरीय) सुन्दरकांड पाठ के नियमित आयोजन के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में आयोजित रजत जयन्ती समारोह में प्रवचन करते हुये व्यक्त किये। इस अवसर पर उद्बोधन करते हुए आचार्य करुणेश मिश्रा ने कहा कि, जिन पर ईश्वर की अति कृपा बरसती है, केवल वही लोग ईश्वरीय भक्ति के मार्ग पर चल पाते हैं। सत्संग इसी भक्तिमार्ग की कुंजी है। सत्संग भक्तिरुपी आभूषण को सुरक्षित रखने की तिजोरी है। कार्यक्रम के संयोजक अरुण कुमार पाठक ने इस अवसर पर बताया कि साप्ताहिक सुन्दरकांड पाठ के पारायण की शुरुआत जून, 2000 में भक्ति भावना के प्रचार-प्रसार के साथ-सथ आपसी मेलजोल तथा सद्भाव बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था। तब से आज तक यह निर्बाध रूप से जारी है। कार्यक्रम सुन्दरकांड के संगीतमय पाठ, यज्ञ एवं भंडार के साथ बड़ी धूमधाम से सम्पन्न हुआ। भंडारे में अनेक भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम पं. लाखी राम गोंदियाल जी की देखरेख में सम्पन्न हुआ, जिसमें राजेन्द्र कुमार गुप्ता, स्वरूप चक्रवर्ती, राजेन्द्र पाल, चन्द्र प्रकाश मिश्र, देवेन्द्र कुमार मिश्रा, गोविन्द बल्लभ भट्ट, अरविन्द दुबे, शशि रंजन समदर्शी, कंचम प्रभा गौतम, संगीता राणा, देबाश्री चक्रवर्ती, मुकेश राणा, छोटे लाल, कृष्णा नन्द राय, मंदिर समिति के सभी पदाधिकारी एवं सदस्यों के साथ भेल उपनगरी के सैकड़ों प्रभु प्रेमी उपस्थित रहे।