मैदान ही नहीं खेल जीतने के लिए खिलाड़ी को दिमाग से भी तैयार होना पड़ता है: डॉ० शिवकुमार चौहान
नीटू कुमार हरिद्वार सवांददाता
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(नीटू कुमार) हरिद्वार। खेल सिर्फ मैदान पर खेलने का ही नाम नही है। और न ही सिर्फ फुर्ती और ताकत का प्रदर्शन है। मैदान के अलावा खेल एक जगह और खेला जाता है। वह है इंसान का दिमाग। मैदान से पहले खेल दिमाग मे होता है। अगर कोई खिलाडी अपने दिमाग मे कई बार खेल जीत जाता है तो मैदान मे भी उसके जीतने की उम्मीद होती है। यानी खिलाडी की जीत मे साईकॉलजी की भूमिका प्रमुख होती है। गुरूकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के एसोशियेट प्रोफेसर डॉ० शिवकुमार चौहान ने एक प्रेरक व्याख्यान मे यह बात कही। टीचर एसोशिसन ऑफ फिजिकल ऐजूकेशन, कोलाहपुर (महाराष्ट्र) द्वारा ऑन-लाईन आयोजित 12-13 जनवरी, 2022 को दिवसीय कार्यशाला के उदघाटन सत्र मे खिलाडियों के प्रशिक्षण शिविर मे खिलाडी जीवन मे साईकॉलजी का महत्व विषय पर बोल रहे थे। उन्होने कहॉ कि खिलाडियों को मानसिक रूप से चुस्त दुरूस्त रहना जरूरी है। जिसके लिए शारीरिक रूप से फिट होना जितना जरूरी है, उतना ही मानसिक तौर पर भी। वास्तव मे स्पोटर्स साईकॉलाजी खिलाडी को इसी परिप्रेक्ष्य मे तैयार करती है। स्पोटर्स साईकॉलोजी खिलाडी पर दो तरह से काम करती है, एक रिसर्च के रूप मे खेल सुविधा विस्तार मे तथा दूसरी कोच के रूप में थेरेपी, काउंसिंलिंग, दिमागी अभ्यास और दवाओं के माध्यम से खिलाडी की मदद करता है। भारत मे खेल को ज्यादा पसंद किया जाता है। क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस तो जैसे एक धर्म ही बन चुके है। खेल मनोचिकित्सक की जरूरत बढती जा रही है। अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया में खिलाडियों की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति सुधार के लिए खेल मनोचिकित्सक को हायर किया जाता है। इस अवसर पर विभिन्न शिक्षण संस्थानों के शिक्षाविद्व, मनोवैज्ञानिक, खिलाडी उपस्थित रहे। कार्यक्रम मे प्रो० सुधा चन्द्रा, प्रो० आर०पी सिंह, प्रो० जे०डी सिंह आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कैप्टन चौधरी द्वारा किया गया।