अध्यात्म चेतना संघ का विराट गीता महोत्सव: डा० आनन्द भारद्वाज को ‘गीता रत्न’ सम्मान’
पाँच को हरिद्वार गौरव सम्मान, गीता ज्ञान प्रतियोगिता में अनुष्का, हर्षिका और अब्दुल समी ने मारी बाजी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(अक्षय कुमार) हरिद्वार। अध्यात्म चेतना संघ की ओर से मोतीमहल मंडपम, ज्वालापुर में आयोजित किये गये विराट गीता महोत्सव के दौरान डाॅ० आनन्द भारद्वाज को ‘गीता रत्न सम्मान’ से सम्मानित किया गया। जबकि, डा० के०त्रिपाठी चिकित्सा, इन्द्र मोहन बर्थवाल खेल, विपुल रुहेला ग़ज़ल व सुगम सगीत, हंसवी टोंक कथक नृत्य तथा भावना सिंह चित्रकला को अपने-अपने क्षेत्रों में अतिविशिष्ट योगदान के लिये ‘हरिद्वार गौरव’ से सम्मानित किया गया। संस्था द्वारा विगत नवम्बर माह में आयोजित की गयी श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञान प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थियों को भी पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता में दिल्ली पब्लिक स्कूल रानीपुर की अनुष्का कक्षा 6 ने प्रथम, शिवडेल पब्लिक स्कूल की हर्षिका कक्षा 6 द्वितीय तथा दीक्षा राइज़िंग पब्लिक स्कूल के अब्दुल समी कक्षा 7 ने तृतीय पुरस्कार जीता। इसके अतिरिक्त कक्षा 6, 7 व 8 से प्रथम तीन स्थान पाने वाले प्रतिभागी विद्यार्थियों को भी पुरस्कृत किया गया। प्रतियोगिता प्रभारी महेश चन्द्र काला के अनुसार इस प्रतियोगिता में दस विद्यालयों के लगभग साढे चार हज़ार विद्यार्थियों ने भाग लिया था। कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए डा० आनन्द भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत भारती संस्था देश के लगभग सभी संगठित जिलों में गीता शिक्षण कक्षाओं का संचालन कर रही है, क्योंकि, संस्कारों की शिक्षा स्कूल और विश्वविद्यालय की किताबों से नहीं, बल्कि धार्मिक, अध्यात्मिक व सनातनी वातावरण के निर्माण से मिलती है। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डा० आनन्द भारद्वाज, किशन दास महाराज, अध्यात्म चेतना संघ के संस्थापक व संचालन आचार्य करुणेश मिश्र तथा संस्था के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा मन्त्रोचारण के बीच किये गये दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। आचार्य करुणेश मिश्र ने संस्था के बाल संस्कार अभियान का परिचय देते हुए बताया कि वर्ष 2013 में आरम्भ किये श्रीमद्भगवद्गीता रूपी अभियान से अब तक पैंसठ हज़ार से भी अधिक विद्यार्थी लाभान्वित चुके हैं। उन्होंने कहा कि जिस देश के बच्चे संस्कारवान होते हैं, उस देश का भविष्य पूर्णरूपेण सुरक्षित होता है। भले ही हमारे देश म धार्मिक ग्रंथों का समुद्र है, लेकिन श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें सम्पूर्ण जीवन प्रबन्ध समाहित है। इसी बात को ध्यान में रख कर संस्था बाल संस्कार अभियान चला रही है। संस्था के अध्यक्ष नितिन गौतम ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि भारत भूमि पर शिक्षा का कम और विद्या का पूजन अधिक होता है। जिन्हें शिक्षा प्राप्त करनी होती है वह विदेश जाते हैं, जिन्हें विद्या प्राप्त करनी होती है वे विदेशों भारत आते है। कार्यक्रम के दौरान ही गीता रत्न तथा हरिद्वार गौरव सम्मानों की घोषणा करते हुए अध्यात्म चेतना संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, मीडिया प्रभारी तथा कवि अरुण कुमार पाठक ने अपना प्रेरक गीत ‘रे पथिक तू चल, तेरी दूर नहीं मंज़िल’ तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन के प्रसिद्ध कलाकार विपुल रूहेला ने भजन साँसों की माला पे, सिमरूं मैं राधे श्याम प्रस्तुत कर श्रोताओं की तालियाँ बटोरी। डीपीएस, रानीपुर के छात्र अर्णिम मधुरेश के सस्वर एवं धाराप्रवाह गीत श्लोकों के पाठ से पूरा वातावरण भक्तिमय होगवया। कार्यक्रम का कुशल व सफल संचालन बृजेश शर्मा ने किया। कार्यक्रम में घनश्याम भवन, हरिद्वार के महंत किशन दास जी महाराज, उत्तराखंड संस्कृत अकादमी, शोध अधिकारी डॉ. हरीश चंद गुरुरानी, शाश्वत वशिष्ठ, कमलकांत शर्मा, मोहिता राघव, शरद झा, योगेन्द्र झा, प्रभांश मिश्रा, अनुष्का मिश्रा, राम शरण पटेल, योगाचार्य विशाल शर्मा, अशोक सरदार, अन्तर्राष्ट्रीय पावरलिफ्टर संगीता राणा, अर्चना वर्मा तिवारी, प्रेम शंकर शर्मा ‘प्रेमी’, देवेन्द्र मिश्र, महेश चन्द्र काला, अरुण कुमार पाठक, रश्मि धीमान, सुधीर कुमार शर्मा, किशन दास महाराज, रवीन्द्र सिंघल, मधुसूदन प्रधान, प्रदीप सिखौला, सिद्धार्थ प्रधान, योगेश शर्मा तथा बड़ी संख्या में विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थी, शिक्षकगण, प्रधानाचार्य, प्रतिनिधि व अभिभावक आदि उपस्थित रहे।











