सँस्कृति की संवाहक होती है महिलाएं: डॉ. वंदना पांडेय
बेटा-बेटी दोनों को दे एक समान संस्कार: पद्मश्री पर्वतारोही सन्तोष यादव
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(गगन शर्मा) हरिद्वार। देवभूमि नारी शक्ति संगम 2023-24 का भव्य आयोजित आज ज्वालापुर इंटर कालेज परिसर में दो सत्रों में हुआ। प्रथम सत्र में महिला कल आज और कल विषय तथा दूसरे चर्चा सत्र में भारतीय चिंतन में महिला विषय पर प्रश्न एवं करणीय कार्य पर चर्चा हुई। प्रथम सत्र का शुभारंभ गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष प्रो डॉ. वंदना पांडे ने कहा कि महिला संस्कृति की संवाहक होती है, बालक की प्रथम गुरू होती है। महिला केवल एक शिशु को जन्म नहीं देती, अपितु पूरा राष्ट्र पालती है। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने महिला और पुरुष का कोई भेद नहीं किया है। भारतीय संस्कृति में परिवार व्यवस्था, पर्यावरण का चिंतन सशक्त रूप से जुडा है। अनेक कुठाराघातों के बाद भी यदि संस्कृति अक्षुण्ण है तो इसमें महिलाओं का बड़ा योगदान है।
उन्होंने ऋग्वेद के एक श्लोक का जिक्र करते हुए कहा कि वेद में भी महिला को साम्राज्ञी बनने का आह्वान किया गया है। उन्होंने कहा महिला तो समर्पण की प्रतिमूर्ति है- चाहे प्रतिमूर्ति हो, या पली अथवा माँ। स्वर्ग का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उर्वशी केवल एक नृत्यांगना नहीं थी, वह यौगिक क्रियाओं, स्थितियों को नृत्य के रूप में स्थापित करने वाली महिला है। भारत की प्राचीन विदूषियों को षडयंत्र के अंतर्गत भुला दिया गया। उन्होंने मुगल काल में जब बहु-बेटियों को को उठाया जाने लगा तब पर्दा प्रथा, सतीप्रथा, बाल कन्या हत्या इत्यादि कुप्रथाएं प्रचलित हुई। अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति को छिन्न भिन्न करने के लिए झूठा इतिहास लिखवाया। इसलिए महिलाएं पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण न करें। उन्होंने कहा भारत एक जीता जागता राष्ट्र पुरुष है। महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि महिलाओं में अपने धर्म के प्रति धार्मिक प्रतिबद्धता अवश्य होनी चाहिए। नई तकनीक, सोशल मीडिया से दूर नहीं होना, इसका सदुपयोग करना चाहिए। अपनी संस्कृति, परंपरा, धार्मिक अवसरों के विषय में लिखिए। प्रो.पांडे ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं भारत की बेटी हूं, भारत की स्त्री हूँ, तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहे ना रहें। दूसरे चर्चा सत्र का शुभारंभ पद्मश्री पर्वतारोही श्रीमति संतोष यादव ने किया। महिला संगम में उपस्थित महिलाओं से चर्चा करते हुए कहा कि हमे अपने बच्चों को पौराणिक ग्रन्थों,कथाओं,कहानियों के माध्यम से संस्कारवान बनाना चाहिए। जिस प्रकार हम छोटेपन से बेटियों को अच्छे-बुरे की शिक्षा देने लगते है,उसी प्रकार बेटो को भी संस्कारी बनाये उन्हें महिलाओं की इज्जत करना सिखाये। महिलाओं को बच्चों के साथ मित्रता वाला व्यवहार रखना चाहिए ताकि बच्चे हर छोटी-बड़ी बात को आप से सांझा करे। अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम संयोजिका सुलोचना पंवार ने कहा कि स्त्री पारीवार एवं समाज की धुरी है, वक्त आने पर उसने यह सिद्ध भी किया है। कार्यक्रम का सञ्चालन श्रीमती नीरज शर्मा ने किया। इस मौके पर वरिष्ठ लेखिका डॉ. रजनी रंजना, मैती संस्था की संस्थापिका कुसुम जोशी, किक्रेटर कनक टपरानिया, इरा शर्मा, डॉ. श्रीजा सिंह चन्देल सहित प्रतिभावान महिलाओं को प्रोत्साहित व सम्मानित भी किया गया। मंचासीन अतिथियों में वरिष्ठ स्वंयसेवक रोहिताश्व कुँवर ने मौजूद रहे। इस मौके पर श्रीमती भावना त्यागी,सरिता सिंह आदि मुख्य थी।