हरिद्वार

बेहतर स्वास्थ्य के लिए गुस्सा भी जरूरी है: डॉ० शिवकुमार चौहान

अक्षय कुमार हरिद्वार संवाददाता

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(शाहबाज सलमानी) हरिद्वार। कार्य की आवश्यकता को एहसास के साथ समय की कसौटी पर कसते हुये अनुभव मे बदलने हेतु की जाने वाली क्रिया मे व्यवद्यान की स्थिति अग्रेशन गुस्सा है। यह व्यक्ति की मनः स्थिति मे पैदा होकर शरीर की जैव रासायनिक प्रक्रिया प्रभावित करके व्यवहार पर असर डालती है। जो गुस्से का मुख्य कारण बनता है। गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग मे एम०पी०एड प्रशिक्षु छात्रों के दल के परिसंवाद मे विषय प्रवर्तक एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० शिवकुमार चौहान ने गुस्से की स्थिति के पैदा होने के कारणों एवं समाधान पर अनेक तथ्यात्मक प्रमाण एवं अपने अनुभव साझा किये। डॉ० शिवकुमार चौहान ने कहॉ कि आज के भौतिक संसाधनों को जुटाने मे मची भागदौड मे गुस्सा (उत्तेजना) व्यक्ति के व्यवहार के नकारात्मक पक्ष को ज्यादा प्रदर्शित कर रहा है, जबकि यह जीवन के साधारण से महत्वपूर्ण तक के कार्यो के लिए आवश्यक कारक के रूप मे जरूरी है। उन्होने कहॉ कि उत्तेजना रहित व्यक्ति कभी विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त करने का पात्र नही बन सकता, क्योकि गुस्सा ही व्यक्ति मे सुरक्षात्मक क्षेत्र डिफेंशिव जोन का कारक है। जीवन मे सभी सुरक्षित रहने पर सुरक्षा के प्रति असंवेदनशीलता व्यवहार के एक प़क्ष को प्रदर्शित करता है। अनेक शोध इस बात की पुष्टि करते है कि जैव रासायनिक परिवर्तन व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढाते है तथा जिसकों विकसित करने मे उत्तेजना अथवा गुस्सा एक सहायक क्रिया है। जिन लोगों को गुस्सा कम आता है ऐसे लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता अधिक गुस्सा आने वाले लोगों की अपेक्षा कम होती है। परिसंवाद मे भुपेन्द्र कुमार, राकेश कुमार, विपिन सैनी, विशु पुंडीर, पवन वर्मा, सूरज कुमार, विशेष कुमार, देवांश पंवार, अखिलेश कुमार आदि उपस्थित रहे।

Related Articles

Back to top button