हरिद्वार की गूंज (24*7)
(गगन शर्मा) हरिद्वार। निर्जला एकादशी के दिन 6 शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। निर्जला एकादशी के दिन शिव योग, सिद्ध योग, त्रिपुष्कर योग, त्रिग्रही योग, बुधादित्य योग, शुक्रादित्य योग जैसे महान योग बन रहे हैं। इन शुभ योग में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
कब है निर्जला एकादशी
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून की प्रातः 4 बजकर 42 मिनट से 18 जून को प्रातः 6 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के चलते निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून को रखा जाएगा। इस व्रत को सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना अन्न व जल के किया जाता है। वहीं द्वादशी तिथि 19 जून को 7 बजकर 29 मिनट तक रहेगी इसलिए 19 जून को एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा।
इन चीजों का दान करने की परंपरा
निर्जला एकादशी का व्रत भीम ने भी रखा था, इसी कारण इसे भीमसेनी एकादशी व पांडव एकादशी भी कहा जाता है। निर्जला एकादशी पर जल दान, गोदान, छाता दान के साथ जल पिलाने का विशेष महत्व होता है। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। पीपल के पेड़ की पूजा करना, पीपल पर जल चढ़ाना व एकादशी की कथा सुनना बेहद लाभकारी होता है। निर्जला एकादशी में ठंडक प्रदान करने वाली चीजे जैसे घड़ा-सुराही, छाता, चीनी को दान करने की परंपरा भी है।