हरिद्वार

पुण्यतिथी पर संत समाज ने किया ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी को नमन

संत समाज के प्ररेणास्रोत थे ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी: श्रीमहंत रविंद्रपुरी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(चिराग कुमार) हरिद्वार। भारत माता मंदिर के संस्थापक निवृत्त शंकराचार्य ब्रहमलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज की छठी पुण्य तिथी सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में समारोह पूर्वक मनायी गयी। समन्वय सेवा ट्रस्ट एवं भारतमाता जनहित ट्रस्ट के सचिव आईडी शास्त्री के संयोजन व भारत माता मंदिर के अध्यक्ष एवं जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज की अध्यक्षता में जनहित ट्रस्ट में समाधि स्थल पर आयोजित पुण्य तिथी समारोह में संत समाज ने ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज का भावपूर्ण स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का संचालन स्वामी हरिचेतनानंद ने किया। शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि देश की एकता अखंडता कायम रखने में संत महापुरूषों की हमेशा ही अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज संत परंपरा के गौरव थे। सनातन परंपरांओं के संरक्षण संवर्द्धन और समाज के वंचित वर्ग की सेवा में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित कर समस्त संत समाज का गौरव बढ़ाया। उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए समाज कल्याण में योगदान का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रांनद गिरी महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। पूज्य गुरूदेव की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए उनके द्वारा स्थापित संस्थाओं की सेवा परंपरा को आगे बढ़ाना ही उनका उद्देश्य है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रांनद गिरी महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। ब्रह्मलीन सत्यमित्रानंद गिरी महाराज ने समाज में समरसता स्थापित करने के साथ धर्म संस्कृति के संरक्षण में जो योगदान दिया। वह सदैव स्मरणीय रहेगा। स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी व महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने कहा कि देश और समाज को भारत माता मंदिर जैसी संस्था प्रदान करने वाली ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज संत समाज की दिव्य विभूति थे। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद व शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि समाज के वंचित वर्ग के बीच जाकर उनकी सेवा और देश के आदिवासी समुदाय को समाज को मुख्यधारा में लाने वाले ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी संत परंपरा के पथ प्रदर्शक थे। ट्रस्ट के सचिव आईडी शास्त्री ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया और आभार जताया। श्रद्धांजलि देने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यमंत्री ओमप्रकाश जमदग्नि, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी, सोनीपत सांसद सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत राघवेंद्र दास, स्वामी प्रेमानंद, साध्वी राधा गिरी, स्वामी प्रबोधानंद गिरी, महंत विष्णुदास, स्वामी यतिन्द्रानंद, बाबा हठयोगी, स्वामी अनंतानंद गिरी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, साध्वी प्राची, डा.विष्णुदत्त राकेश, डा.विशाल गर्ग, जोलीग्रांट हॉस्पिटल के एमडी विजय धस्माना, सुमित अदलक्खा, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी दिनेश दास, स्वामी राममुनि, जगदीशलाल पाहवा, मधुर शर्मा सहित अनेक संत महंत, गणमान्य व्यक्ति व श्रद्धालु भक्त शामिल रहे।

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