रुड़की

कवि सम्मेलन व मुशायरे में कवियों ने बिखेरे शायरी के रंग

सँभल कर पांव रखना तुम, शहीदों का वतन है ये

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(इमरान देशभक्त) रुड़की। कलम साधना फाउंडेशन के तत्वावधान में “एक शाम-बुजुर्गों के नाम” से कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन प्रमोद त्यागी की अध्यक्षता में किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप पधारे प्रसिद्ध समाजसेवी व चिकित्सक डॉक्टर बृजपाल सिंह अम्बेडकर ने देश के प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय गोपाल दास नीरज व बेकल उत्साही को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

हरिद्वार गुरुकुल विद्यालय के शिक्षक डॉक्टर सुशील कुमार त्यागी के काव्य संग्रह सुभाष शतक का विमोचन हाजी शमीम साबरी, समाज सेविका रश्मि चौधरी, पूर्व शिक्षा उपनिदेशक ब्रह्मपाल सिंह सैनी, एडवोकेट बृजभूषण त्यागी, प्रेरणा त्यागी ने किया। अंतर्राष्ट्रीय शायर अफजल मंगलौरी के संचालन में देश के प्रसिद्ध शायरों व कवियों ने काव्य पाठ किया।

देहरादून से मोनिका अरोरा मंतशा, दिल्ली से डॉक्टर अरविंद अग्निहोत्री पथिक, मेरठ से एडवोकेट कुमारी अर्शी चौहान, रामपुर से प्रदीप दीवाना, हरिद्वार से डॉक्टर सुशील त्यागी, राहत भगवानपुरी, आयशा सदफ, शाहरुख कुरैशी, अरविंद संत आदि ने देश के हालात पर कविताएं पेश की।मेरठ की शायरा अर्शी चौहान ने पढ़ा कि…..
गुलो गुलजार कहते हैं, शहीदों का चमन है ये।
सँभल कर पांव रखना तुम, शहीदों का वतन है ये।
देहरादून की मशहूर शायरा मोनिका अरोरा मंतशा ने फरमाया कि…..
हमने देखा ही नहीं रब को हकीकत में कभी।
हम तो महबूब को ही अपना खुदा कहते हैं।
अफजल मंगलौरी ने तरन्नुम से फरमाया कि…..
तू भी आदमी मैं भी आदमी,तो ये नफरतों की है बात क्यों।
न तेरा खुदा कोई और है, न मेरा खुदा कोई और है।
दिल्ली के कवि अरविद पथिक ने पढ़ा कि…..
चमन में दिख रही जो रौनकें उनकी वजह हम है।
लहू दे कर चरागे अमन हमने ही जलाए हैं।
रामपुर के प्रदीप दीवाना ने कहा कि…..
ये दुनिया बड़ी ही सितमगर यारो।
तू किस किस फिर अब बगावत करेगा।

इस अवसर पर बुल्ले शाह, नितिन बंसल, रामपाल गौतम, एडवोकेट अजय कुमार, अनिल ओजस्वी, हरपाल सिंह सन्त, चौधरी विजेंद्र सिंह व इमरान देशभक्त आदि मौजूद रहे।

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