हरिद्वार

चर्चा: हरिद्वार में ई-रिक्शा का बोलबाला, मालिक कोई, ड्राइवर कोई, बढ़ता अपराध

रवि चौहान हरिद्वार संवाददाता

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(रवि चौहान) हरिद्वार। जहां गरीब लोगों को रोजगार दिलाने के लिए ई-रिक्शा का संचालन किया गया तो वहीं कुछ लोगों ने ई रिक्शा को अपना व्यवसाय बना डाला। जानकारी के अनुसार भारत में ई-रिक्शा का संचालन 2010 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ था, हालांकि, शुरुआत में इनकी बिक्री कम रही और वे असामान्य थे, ई-रिक्शा को चलाने के लिए, आरटीओ से परमिट लेना ज़रूरी है, ई-रिक्शा चलाने के लिए, एक खास लाइसेंस भी लेना होता है। वहीं ई-रिक्शा को चलाने हेतु ड्राईविंग लाईसेंस 08 अक्तूबर 2014 को भारत सरकार के द्वारा ई-रिक्शा वाहन को व्यवसायिक मोटर वाहन की श्रेणी में सम्मिलित करने से पूर्व सम्बन्धित नियमों के अभाव में इन वाहनों का क्रय-विक्रय अनियंत्रित तरीके से हुआ है।

अब देखा जा रहा है कि हरिद्वार धर्मनगरी में ई-रिक्शा की भरमार आ गई है, जिससे यातायात व्यवस्था भी बिगड़ी हुई दिखाई दे रही हैं साथ ही साथ अपराध भी बढ़ता जा रहा है, जो शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है, जी हां कुछ बाहरी राज्य से आकर हरिद्वार धर्मनगरी में लोग ई रिक्शा चला रहे है जिसके चलते हरिद्वार धर्मनगरी में ई रिक्शा का बोलबाला हो रहा है। ई रिक्शा का संचालन गरीब लोगों के लिए किया गया था कि एक ई रिक्शा स्वामी अपने छोटे परिवार का आसानी से पालन पोषण कर सकें, पर अब देखा जा रहा है कि कुछ लोगों द्वारा दर्जनों ई रिक्शा खरीद कर उसको किराए पर दे दी जाती है जिससे अपराधिक घटना भी बढ़ जा रही है।

हरिद्वार शहर में चर्चा है कि कई जगह ई रिक्शा यूनियन भी बना डाली जिसके चलते ई रिक्शा चालक बेधड़क होकर ई रिक्शा चला रहे हैं अब इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की, ई रिक्शा का मालिक कोई और ड्राइवर कोई होता है, जिससे चलते ई-रिक्शा से यातायात व्यवस्था तो ठप हो ही रही है और दुर्घटना भी सामने आ रही है। जल्द से जल्द सरकार को ऐसा निर्देश जारी करना चाहिए कि जिससे कि ई-रिक्शा गरीब लोगों तक ही सीमित रहें, जिससे एक छोटे गरीब परिवार का पालन पोषण हो सकें, और दर्जनों ई रिक्शा स्वामियों के खिलाफ ई रिक्शा पकड़े जाने पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए, ताकि बढ़ते अपराध पर भी अंकुश लगाया जा सके।

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