चर्चा: पिरान कलियर में सालाना ठेको के न होने से दरगाह को हो रहा लाखों का नुकसान, जिम्मेदार कौन?
जावेद अंसारी पिरान कलियर प्रभारी
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(जावेद अंसारी) पिरान कलियर। विश्व प्रसिद्ध दरगाह साबिर पाक पिरान कलियर सहित कई दरगाहों की दरगाह प्रशासन द्वारा देख रेख की जाती है, जिसमे कार मोटरसाइकिल की पार्किंग सहित प्रसाद के भी बड़े महंगे ठेके छोड़े जाते है, पर शहर में चर्चा है की पिछले काफी दिनों से दरगाह प्रबन्धन की लापरवाही के चलते यह ठेके नही छोड़े गए, बल्कि उक्त लोगो से प्रतिदिन के हिसाब से वसूली की जा रही है। वही आरोप लगाते हुए उक्त ठेकेदार ने मीडिया के समक्ष यह शिकायत रक्खी, पूर्व में दरगाह प्रबन्धन को अपनी कॉटेशन दी हुई है।
बड़ा सवाल यह उठता है कि जो प्रसाद की दुकान नम्बर एक का पहला ठेका छोड़ा गया था, वह लगभग एक करोड़ 76 लाख रुपये का था, और जो फ़िलहाल डेलीवेज के रूप में प्रसाद के दुकानदारों से रकम वसूली जा रही है वह भी लगभग एक करोड़ 76 लाख रुपये के हिसाब से ही वसूली जा रही है। जबकि अगर नए ठेकेदार को यह कॉन्ट्रेक्ट दिया जाता है तो ठेकेदार के मुताबिक उसने 2 करोड़ 786 रुपये अपनी कॉटेशन में भरे हुए है, यानी अगर नए ठेकेदार को सिर्फ प्रसाद की दुकान नम्बर एक का ही ठेका दिया जाता है, तो दरगाह को लगभग 23 लाख रुपये का मुनाफा हो सकता था, चर्चा है की दरगाह प्रबंधन इस मामले में अपनी मनमर्जी करते हुए खामोश बना हुआ है।
सवाल यही उठता नज़र आता है कि आखिरकार दरगाह प्रबन्धक 23 लाख ज्यादा में ठेका क्यों नही छोड़ना चाहती, और प्रतिदिन वसूली करने से दरगाह प्रबन्धन को क्या फायदा हो रहा है। साथ ही साथ अगर हम बात करें दरगाह पहाड़ी गेट की तो प्रसाद नंबर दो की दुकान की तो वह भी पिछले लगभग 1 महीने से खाली पड़ी है, जिससे दरगाह के खजाने को लाखों की चपत लग रही है। अब इस तरह से ज्यादातर प्रशाद की दुकानें वे ठेकों को रोजाना पर चलने से किसको फायदा पहुंच रहा है, यह सब बातें सवाल उत्पन्न करती है। इन सभी सवालों का जवाब कोई नही दे पा रहा।