हरिद्वार की गूंज (24*7)
(अब्दुल सत्तार) हरिद्वार। कहने को तो पुलिस अवैध नशे पर कार्यवाही करती नजर आ रही हैं लेकिन बढ़ते नशे को देखते हुए जनसमाज को एकजुट होकर विचार विमर्श करने की जरूरत है, कि आखिर पुलिस कार्यवाही के बाद भी नशा दिन प्रतिदिन बढ़ता क्यों जा रहा है कहीं ना कहीं दाल में काला है या फिर पूरी दाल ही काली है, क्योंकि एक तरफ तो पुलिस नशा मुक्त उत्तराखंड का नारा देकर लगातार कार्यवाही करती नजर आ रही है वही दूसरी ओर देवभूमि की सीमाओं से स्मैक जैसा भयंकर जानलेवा नशा लगातार हमारे प्रदेश मे प्रवेश कर रहा है देवभूमि की सीमाओं से लगातार स्मैक जैसे भयंकर नशे के प्रवेश से ये बात बिल्कुल सही साबित हो रही है कि पुलिस की कार्यवाही में कहीं ना कहीं कुछ कमी बरती जा रही है, एक तरफ पुलिस नशे के खिलाफ कार्यवाही करके नशे बेचने वालों को जेल भेज रही है तो वही दूसरी ओर सीमाओं से स्मैक जैसे भयंकर नशे के प्रवेश को रोकने में विफल नजर आ रही है। इसलिए इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए जन समाज को सतर्क व सचेत रहने की आवश्यकता है, कि हमें अपने बच्चों को इस फैलते हुए नशे से कैसे बचाना है पुलिस के ऊपर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है, जिस पुलिस की मौजूदगी में प्रदेश की सीमाओं से स्मैक जैसा भयंकर नशा प्रदेश के अंदर प्रवेश कर रहा है वे पुलिस कैसे समाज को नशा मुक्त कर सकती है जो बातें ऊपर कहीं गयी है कहने को कड़वी है लेकिन यही वास्तविकता है जो लिखी गयी है, नशे के खिलाफ समाज को एक जुट होकर आवाज उठाने की जरूरत है, तभी जाकर हमारे बच्चे वायरस की तरह फैलते नशे से बच सकते हैं, वरना तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा शहर भी पंजाब के शहरों की तरह हो जायेगा जहां हर दूसरे घर में नशेड़ी होगा अपने शहर को नशे से बचाने की कोशिश हर शहरवासी को करने की जरूरत है।