हरिद्वार

चुनावी समर में महिलाओं की भूमिका एवं कर्तव्य: शिवानी गौड़

रजत चौहान प्रधान सम्पादक

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(रजत चौहान) हरिद्वार। जैसा की सर्वविदित है कि चुनावी माहौल चल रहा है, इसी के अंतर्गत महिलाओं की क्या भूमिका होनी चाहिए ऐसा विचार किया जाना आवश्यक है। एक वोटर के रूप में भी महिलाओं को अब अति जागरूक होना पड़ेगा तथा सभी स्थितियों का सही आंकलन करके ही किसी निर्णय पर पहुंचना सही रहेगा, अपने वोट का सही उपयोग भी महिलाएं अपने विवेक से ही करें वही अति उत्तम होगा। अपने कार्य क्षेत्र, समाज तथा घर में विगत दिनों में जो भी अनुभव रहा है उसी के आधार पर निश्चय किया जाना चाहिए। दूसरों की राय तथा अनुभव के आधार पर निर्णय ना लेकर वर्तमान तथा दूरदर्शिता को भी ध्यान में रखकर अपने वोट का सही उपयोग करें। अपने राष्ट्र निर्माण तथा राष्ट्र हित के लिए महिलाओं की भागीदारी बराबर की है अतः सही चयन के लिए सहयोग अत्यंत आवश्यक है। हमारे द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा किए गए फैसले का सीधा प्रभाव जनता के जीवन पर पड़ता है इसलिए हमें यह पूर्ण अधिकार है कि अपनी पूरी सूझबूझ तथा अपने भविष्य को ध्यान में रखकर ही हम अपने वोट का प्रयोग करें। अक्सर यह देखा गया है कि घर में जिस तरह का राजनीतिक माहौल बनाया जाता रहा है महिलाएं अपने आपको उसी में डालकर उसी के अनुरूप अपनी राय बना लेती हैं लेकिन हमें यह चाहिए कि हम अपनी सूझबूझ से तथा जो भविष्य के लिए जो सही हो एक ऐसे प्रत्याशी का चयन करें। राजनीति में अक्सर शिक्षा को बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है, लेकिन हमें अपना वोट देते समय एक शिक्षित प्रत्याशी को ही वरीयता देनी चाहिए क्योंकि एक शिक्षित मस्तिष्क की सोच से दूरगामी तथा जनहित के लिए कल्याणकारी फैसले लिए जा सकते हैं। अपनी जमीन तलाशती नई पुरानी विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा प्रस्तावित विभिन्न तरह के प्रलोभन तथा भविष्य के लिए दिखाए गए झूठे सपनों के जाल में ना फंस कर एक सुंदर सोच तथा स्पष्ट दिशानिर्देश के साथ किए गए कार्यों को मान्यता देनी चाहिए। इस दिशा में भी महिलाएं अपनी भूमिका को कमतर ना आंके, वे भी परिणाम की दिशा एवं दशा को प्रभावित कर कोई भी रूप तथा आयाम देने की क्षमता रखती हैं। अतः अब स्वतः जाग्रत होकर अपने आसपास की वंचित महिलाओं को उस वर्ग को निर्णय क्षमता एवं स्वावलम्बन के प्रति जागरूक करने का कर्तव्य प्रत्येक जागरूक महिला का है, ताकि कोई भी परिस्थिति उनकी सरल मानसिकता को भ्रमित ना कर सके। अपने मतदान के अधिकारों का सही प्रयोग कर सकें। इस बार हम सब को यह निश्चय करना चाहिए कि हमें अपने द्वारा लिए गए निर्णयों का भविष्य में पश्चाताप ना करना पड़े। इसके फलस्वरूप वर्तमान में बहुत समझ तथा आने वाले समय को ध्यान में रखकर ही हमें अपने मतदान के प्रयोग का निर्णय सुनिश्चित करना चाहिए।

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