हरिद्वार

उत्तराखण्ड में लगातार बढ़ते अपराधों को लेकर बड़ा सवाल

आए दिन बड़ी वारदात से कानून व्यवस्था पर भी उठ रहे सवाल

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(वेद प्रकाश चौहान/राजेश कुमार) हरिद्वार। देवभूमि उत्तराखंड में पिछले काफी समय से अपराध बड़ रहे हैं, जिसमें आए दिन सरेआम हत्या, लूट, चोरी, अपराह्न जैसी घटनाएं आम बात हो गई है। जबकि देवभूमि उत्तराखंड एक शान्तिपूर्ण राज्य माना जाता है, लेकिन अब तो प्रदेश भर में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो रहे हैं, कि दिनदहाड़े बड़ी घटनाएं सुनने और देखने को मिल रही हैं। वहीं डबल इंजन की सरकार मंचों से बड़े बड़े दावे फेल होते हुए दिखाई दे रहें है।

वहीं प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार द्वारा कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने में लगातार बेहतर प्रयास किए गए हैं। शहर में चर्चा है की जिले स्तर के कुछ अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा अपराधियों पर लगाम लगाने की बजाय पीड़ितों पर ही तानाशाही दिखाकर अपनी जिम्मेदारी पूर्ण कर रहे हैं। पिछले काफी समय से देखने को मिला है कि ऊधम सिंह नगर एवं हरिद्वार जिले में अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। यदि किसी व्यक्ति द्वारा या पत्रकार द्वारा पुलिस को किसी अपराधिक मामले की सूचना दी जाती है, तो कुछ पुलिस अधिकारी तो बात तो बात सुनने को ही तैयार नहीं होते। देखने में यह भी आता है कि कोई पीड़ित जब किसी मामले को लेकर पुलिस थानों में अपनी शिकायत पत्र लेकर जाता है तो पहले तो शिकायत दर्ज करने में कई चक्कर लगाने पड़ते हैं या फिर इधर से उधर का हवाला देकर पीड़ित को रफा दफा कर दिया जाता है जो शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है, पीडितों को मदद ना मिलने पर आखिर निराशा हाथ लगती है।

जिससे मजबूरन हज़ारों पीड़ित पुलिस मुख्यालय में पहुंच कर मदद की गुहार लगाते दिखाई देते हैं। ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जिस कारण अपराधियों के हौसले दिन पर दिन बुलंद हो रहे हैं। तो वहीं उत्तराखण्ड मित्र पुलिस द्वारा न्याय ना मिलने पर पीड़ित आत्महत्या करने तक को मजबूर हो जाते हैं। यदि समय रहते पुलिस द्वारा पीड़ित की शिकायत दर्ज कर कार्रवाई कर अपराधियों पर मेहरबानी करने की बजाय सलाखों के पीछे डाले तो काफ़ी हद तक अपराध पर नियंत्रण किया जा सकता है। यदि जिले के उच्च अधिकारियों द्वारा स्वयं थानों में जाकर जांच की जाए तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी। चर्चा है की कुछ गलत पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कारण स्वच्छ छवि एवं जिम्मेदारी से सेवा करने वाले अधिकारीयों पर भी सवाल उठाए जाते हैं।

Related Articles

Back to top button