हरिद्वार

पाकिस्तान से आए हिंदू श्रद्धालुओं ने किया गंगा में अस्थि विसर्जन

अस्थि प्रवाह के लिए हरिद्वार आने वाले पाकिस्तानी हिंदुओं को जल्द वीजा दिलाने की व्यवस्था करे सरकार: संत युद्धिष्ठर लाल

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(गगन शर्मा) हरिद्वार। भूपतवला स्थित शदाणी दरबार में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने आए पाकिस्तान के 223 हिंदू तीर्थयात्रियों ने रविवार को हरकी पैड़ी स्थित अस्थि प्रवाह घाट पर अपने दिवंगत परिजनों की अस्थियां गंगा में विसर्जित की। शदाणी दरबार के पीठाधीश्वर संत युधिष्ठिर लाल ने कहा कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू परिवारों के करीब 20 से 22 दिवंगत परिजनों की अस्थियां बरसों से रखी हुई थी। जिन्हें आज गंगा में विसर्जित किया गया। उन्होंने बताया कि सिंध प्रांत में ब्राह्मण काफी संख्या में रहते हैं। पाकिस्तान में सिंधु नदी भी है। वहां रहने वाले हिंदु गंगा को अपना आराध्य मानते हैं। इसलिए अपने परिजनों की अस्थियों को गंगा में ही प्रवाहित करते हैं। सिंध प्रांत के हैदराबाद, थारपारकर और शिकारपुर जिलों से लायी गयी अस्थियां गंगा में प्रवाहित होने पर सभी दिवंगतों को मोक्ष की प्राप्ति होगी।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि यदि कोई पाकिस्तान से हरिद्वार आकर अपने अस्थियां विसर्जित करना चाहता है। तो उसे बिना शर्त एक हफ्ते का विशेष वीजा दिया जाएगा। लेकिन अभी तक सिर्फ दो-चार लोगों को ही वीजा मिल पाया है। ऐसे में भारत सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। 13 अप्रैल को पाकिस्तान से भारत रवाना हुए हिंदू श्रद्धालुओं के जत्थे के प्रमुख पाकिस्तान के सिंध प्रांत के रहने वाले गोविंदराम मखीजा ने बताया कि वो शदाणी दरबार के नेतृत्व में भारत आए हैं। हिंदुस्तान और पाकिस्तान के जत्थों के आने जाने का सिलसिला पिछले 35-40 सालों से जारी है। उन्होंने कहा कि 223 यात्रियों का जत्था 16 अप्रैल को अमरावती पहुंचा। 19 अप्रैल को रायपुर और उसके बाद इलाहाबाद पहुंचा और त्रिवेणी में स्नान किया। इसके बाद अयोध्या पहुंचे। गोंविदराम मखीजा ने बताया कि लंबे समय से मन में श्रीराम जन्मभूमि के दर्शन करने की लालसा थी। जो अयोध्या में रामलला के दर्शन कर पूरी हो गयी। उन्होंने बताया कि भारत आने के लिए वीजा लेने में काफी परेशानी होती है। पीएम नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि पाकिस्तान के हिंदू यात्रियों को जल्द वीजा मिलने की व्यवस्था करें। वीजा के लिए 30 से 40 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन फिर भी वीजा नहीं मिलता है। कई बार वीजा तब मिलता है। जब भारत में जिस कार्यक्रम में शामिल होना है, वह खत्म हो चुका होता है।

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