हरिद्वार

देसंविवि में राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

ग्रामीण स्वावलंबन कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने रखे विचार

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(नीटू कुमार) हरिद्वार। देव संस्कृति विश्वविद्यालय में ग्रामीण स्वावलंबन पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आज समापन हो गया। कार्यशाला में देश विभिन्न राज्यों से आए लगभग २५० विषय विशेषज्ञ, शिक्षक, शोद्यार्थी आदि शामिल रहे। ज्ञात हो कि वर्ष 2026 अखिल विश्व गायत्री परिवार की संस्थापिका वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा जी एवं अखण्ड दीपक की जन्म शताब्दी वर्ष है। जन्म शताब्दी वर्ष कार्यक्रम के अंतर्गत एक कार्यक्रम युवाओं को ग्रामीण स्वावलंबन से जोड़ना भी है। जिससे वे अपनी आजीविका के लिए कुछ कर सकें। समापन अवसर पर देसंविवि के कुलपति श्री शरद पारधी ने कहा कि भारत का संपूर्ण विकास गाँवों के विकास पर निर्भर है। गाँवों में विकास की धारा बहेगी, तो युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्वावलंबन एवं विकास के लिए विभिन्न प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाने की योजना है। इन केन्द्रों में मधुमक्खी पालन, गौपालन, फल संरक्षण के संबंध में ग्रामीणों एवं युवाओं को प्रशिक्षित किया जायेगा। कुलसचिव श्री बलदाऊ देवांगन ने कहा कि स्वावलंबन का अर्थ जीवन की शक्तियों और गुणों का विकास है। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पूज्य आचार्य श्री ने भारत के गाँवों के समग्र विकास के लिए विभिन्न योजनाएँ दी हैं। उन्होंने कहा कि ग्राम विकास पर आधारित शिक्षाओं के आधार पर हम सब मिलकर कार्य एवं प्रयास करें, तो भारत देश का स्वर्णीम युग सुनिश्चित है। इस अवसर पर प्रतिभागियों द्वारा क्षेत्रों में किये जा रहे स्वावलंबन के कार्यों में आ रही कठिनाइयों का समाधान सुझाया। पद्मश्री भारत भूषण त्यागी ने जैविक कृषि-अवसर एवं सीमाएं विषय पर विस्तृत जानकारी दी। वर्मी कंपोस्ट एवं जैविक उत्पाद विषय पर अमित त्यागी ने और मधुमक्खी पालन एक लाभकारी व्यवसाय विषय पर अजय सैनी ने गहराई से समझाया, तो वहीं देशी गोवंश संवर्धन के लिए डॉ. अरूण कुमार सिंह जी ने विस्तृत जानकारी दी। विभागाध्यक्ष डॉ टीसी शर्मा, इसके साथ ही डॉ सीएम शुक्ला, सूर्यनाथ यादव, चंदन श्रीवास, श्रीमती कविता भगत आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर देसंविवि के ग्राम प्रबंधन के सभी शिक्षकगण, विद्यार्थी, विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागी मौजूद रहे। पश्चात सभी प्रतिनिधियों एवं प्रतिभागियों को देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण कराया और उन्हें विश्वविद्यालय में चल रही विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी।

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