देहरादून

संकट की घड़ी में मसीहा बनी एसडीआरएफ

राजेश कुमार देहरादून प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) उत्तराखंड। जब कुदरत का कहर और संकट की घड़ी आती है,जब हर एक रास्ता बंद हो जाता है जब चारों तरफ तबाही का मंजर नजर आता है तब एक उम्मीद की किरण बनकर एसडीआरएफ की टीम देवदूत बनकर आती है। ये वो सिपाही है जो अपनी जान की परवाह किये बिना दूसरे की जान बचाने को हर समय तैयार रहते है, तभी तो इन्हें देवभूमि का देवदूत कहा जाता है। प्रदेश में प्राकृतिक आपदा में फंसे लोगों के लिए एसडीआरएफ की टीम देवदूत बनकर मदद के लिए हर समय तैनात है,एसडीआरएफ की टीम ने अपनी जान हथेली पर रखकर अब तक बरसात की मार झेल रहे हजारों लोगो की जाने बचाई है। उत्तराखंड में भारी बारिश व बादल फटने से हुई तबाही जन जीवन काफी अस्त व्यस्त है, हर तरफ रास्ते बंद, संचार सेवा बन्द होने पर एसडीआरएफ की टीम 24 घण्टे मसीहा बनकर लोगों की मदद के लिए अलर्ट मोड पर रहती है।
5 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने से हुई तबाही के बाद एसडीआरएफ की टीम ने युद्धस्तर पर राहत बचाव कार्य कर वँहा पर फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया था। जनपद देहरादून में कल सोमवार से ही रही भारी बारिश के कारण आज मंगलवार को जनपद के कई हिस्सों में पानी भर गया है, जिसमें देवभूमि इंस्टिट्यूट के परिसर में जलभराव हो गया जिसमें कई छात्र-छात्राओं की फंसने की सूचना थी, इस सूचना पर एसडीआरएफ की टीम ने तत्काल मौके पर पहुँच कर सभी छात्र-छात्राओं को सुरक्षित व सकुशलता से बाहर निकाला। गौरतलब है कि उत्तराखंड एसडीआरएफ की स्थापना केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार ने 9 अक्टूबर 2013 को किया था, जिसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की आपदा के समय तुरंत राहत व बचाव कार्यों को प्रभावी रूप लोगों तक पहुचाया जाए। उत्तराखंड एसडीआरएफ द्वारा न सिर्फ ख़ाकी में फ्रंट फुट पर ‘सेवियर्स फ़ॉर आल’ की भूमिका को कड़ी चट्टान, तूफानी हालातो, भूस्खलन, आपदा, बाढ़ में रेस्क्यू आपरेशन के सहारे फलीफुत किया बल्कि सिलक्यारा टनल हादसे में 17 दिनों से मौत संग जंग लड़ रहे 41 मजदूरों की जान बचाई। एसडीआरएफ उत्तराखंड पुलिस की कुशल, कुशाग्र, दक्ष, सक्षम, कबिलियत की उन्नत विंग्स में से एक है जिनके द्वारा किसी भी हादसे के समय रेस्क्यू आपरेशन के साथ फर्स्ट एड देकर जिंदगी बचाये जाने की उम्मीद को भी बबरकरार रखने की दक्षता दिखाई है। हाल ही में धराली,चमोली, बागेश्वर, पौड़ी व रुद्रप्रयाग में प्रचंड बारीश के चलते आयी आपदा में एसडीआरएफ द्वारा सर्वप्रथम रेस्क्यू कार्य प्रारंभ कर कई जिंदगियों को बचाया गया, जिससे उक्त हादसों में जान माल की हानि को कई हद तक कम करने में सहायता मिली।

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