हरिद्वार

हार्ट अटैक को लेकर आम सोच, यही है कि यह अचानक सीने में उठते तेज़ दर्द के साथ आता है

खतरा: दिल की खामोशी, साइलेंट हार्ट अटैक बिना बताए होता.....

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(रजत चौहान) हरिद्वार। अब हालात बदल चुके हैं, अब 20 से 40 साल के युवा भी हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं, और इनमें से कई को इसका कोई अंदाज़ा तक नहीं होता। ऐसा तब होता है जब दिल की नसों में रुकावट आती है, लेकिन शरीर कोई ज़ोरदार संकेत नहीं देता। इस स्थिति को ‘साइलेंट हार्ट अटैक’ कहा जाता है, जो उतना ही खतरनाक है जितना आम हार्ट अटैक, बल्कि कई बार ज़्यादा जानलेवा साबित होता है।

वहीं डॉ० दीपांकर वत्स जो यथार्थ अस्पताल ग्रेटर नोएडा में कार्डियोलॉजी कंसल्टेंट हैं वह कहते हैं साइलेंट हार्ट अटैक को अक्सर नज़र अंदाज़ कर दिया जाता है क्योंकि इसके लक्षण बहुत मामूली होते हैं। लेकिन इलाज में देर होने पर दिल को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है। अगर हल्के लक्षण भी बार-बार हो रहे हों, तो तुरंत जांच कराना ज़रूरी है। युवाओं को खासकर सतर्क रहने की ज़रूरत है, क्योंकि यही उम्र में सावधानी, भविष्य में बीमारी से बचा सकती है।

साइलेंट हार्ट अटैक में लक्षण इतने हल्के होते हैं कि उन्हें अक्सर थकान, गैस, या मामूली बेचैनी मानकर अनदेखा कर दिया जाता है। शरीर हल्की सांस फूलने, सीने में दबाव, जबड़े, पीठ या बाएं हाथ में हल्के दर्द जैसे संकेत देता है, लेकिन इन्हें आमतौर पर एसिडिटी या स्ट्रेस मान लिया जाता है। कई बार यह अटैक तब पकड़ में आता है जब मरीज किसी और वजह से जांच करवा रहा होता है या इमरजेंसी की स्थिति बनती है। तब तक दिल को नुकसान पहुंच चुका होता है।

भारत में हर चार में से एक हार्ट अटैक अब युवाओं में देखा जा रहा है। इसका कारण सिर्फ जेनेटिक्स नहीं, बल्कि आधुनिक जीवनशैली है। घंटों बैठकर काम करना, जंक फूड, धूम्रपान, शराब, नींद की कमी और मानसिक तनाव दिल को चुपचाप नुकसान पहुंचा रहे हैं। दुख की बात यह है कि कई युवा खुद को फिट मानकर मेडिकल चेकअप को टालते रहते हैं, और यही लापरवाही खतरनाक साबित होती है।

साइलेंट हार्ट अटैक से बचाव मुमकिन है, लेकिन इसके लिए समय रहते सतर्कता जरूरी है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, धूम्रपान और शराब से दूरी, नींद पूरी करना और तनाव को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है। साथ ही, समय-समय पर ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच कराते रहना चाहिए, खासकर अगर परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास हो।

इलाज के लिए अब भारत में भी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। एंजियोप्लास्टी, स्टेंटिंग, और इन्ट्रावेस्कुलर अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीकों से बेहतर नतीजे मिल रहे हैं। लेकिन ये तभी कारगर हैं जब मरीज समय रहते अस्पताल पहुंचे। इसलिए शरीर के किसी भी छोटे-से संकेत को अनदेखा न करें।

अगर मरीज को तुरंत ऐसे अस्पताल पहुंचाया जाए जहां कार्डियक केयर यूनिट हो और इलाज तुरंत शुरू हो जाए, तो ज़िंदगी और मौत के बीच का फर्क तय किया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि बिना लक्षण वाले लोग भी सजग रहें, क्योंकि यही जागरूकता कई बार जान बचा सकती है

साइलेंट हार्ट अटैक बिना शोर के आता है, लेकिन इसके असर लंबे समय तक महसूस होते हैं। अगर आप सजग रहें, समय पर जांच कराएं और जीवनशैली में थोड़ा बदलाव करें, तो इस चुपचाप आने वाले खतरे से खुद को और अपने परिवार को बचाया जा सकता है।

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