देहरादून

इंटेलिजेन्स कोर के कमांडेंट की पहल, वीर सपूतों के परिजनों को ‘घर-घर’ जाकर कर रहे सम्मानित

राजेश कुमार देहरादून प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) देहरादून। वीरों का कभी अंत नही होता, शौर्य व साहस का सिलसिला कभी कम नही होता, भारत के लाल है जो, उनका शौर्य बलिदान के बाद भी कम नही होता। यह पंक्ति हमारी भारतीय सेना के हर उस वीर जवान पर सटीक बैठती है जिनके द्वारा भारत माँ की हर पुकार पर अपने पूर्ण सामर्थ्य, अभूतपूर्ण शौर्य व साहस से तिरंगे की शान बनाये रखी है। भारत के ऐसे ही वीरों को भारतीय सेना सदैव स्मरण करती है और देश के काम आए उक्त वीर सपूतों के परिजनों के साथ ताउम्र खड़ी रह उनके शौर्य को कभी मरने नही देती।

कर्नल कमांडेंट इंटेलिजेंस कोर लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप कुमार चहल,(एवीएसएम) द्वारा भारत के ऐसे ही वीर सपूतों के शौर्य व साहस को सलाम करने व उनके शौर्य को कभी न भूलने के लिए के एक नई पहल शुरू की है। जहां उनके द्वारा देश की सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सपूतों के घर-परिवार, उनके परिजनों का ख्याल रखने व उनका हाल चाल जानने की जिम्मेदारी ली है। उनके द्वारा इस कार्य के लिए स्वयं से व अपनी इंटेलिजेंस कोर के हर एक वीर को यह जिम्मा सौंपा है, जिसके तहत इंटेलिजेंस देश सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर जवानों के परिजनों का एक परिवार बन ख्याल रखेंगे, उनकी सुरक्षा करेंगे, सुख- दुख में कंधा बनेंगे। लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप कुमार चहल की इस पहल में इंटेलिजेंस कोर के जवानों द्वारा
देश के वीर जवानों के शौर्य व साहस को नमन करते हुए घर-घर जाकर उनके परिजनों को सम्मानित किया जा रहा है।

जिस क्रम में आज आर्मी इंटेलिजेंस स्कूल, पुणे से एक दिन अधिकारी व देहरादून इंटेलिजेंस टुकड़ी के जवानों द्वारा क्लेमेंटटाउन निवासी हवलदार अशोक थापा, सेना मेडल (मरणोपरांत) को गौरव पत्र दिया गया, जोकि उनकी पत्नी प्रभा थापा द्वारा ग्रहण किया गया। भारतीय सेना द्वारा वर्ष 1994 में चलाये गए ‘आपरेशन हिफाजत’ के तहत 57 माउंटेन डिवीज़न की इंटेलिजेंस व फील्ड सिक्योरिटी कंपनी, मणिपुर में तैनात हवलदार अशोक थापा द्वारा 9 जून 1994 को विद्रोहियों से लोहा लिया गया व विद्रोहियों के साथ हुई मुठभेड़ में अपना सर्वोच्च बलिदान देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। जिस वक्त वह वीरगति को प्राप्त हुए थे उस वक़्त उनकी शादी को महज 3 वर्ष हुए थे व वह अपने पीछे अपनी पत्नी व छः माह की बेटी को छोड़ गए थे।

इंटेलिजेंस स्कूल के जवानों द्वारा इस दौरान वीर सपूत की पत्नी प्रभा थापा की बात कर्नल कमांडेंट इंटेलिजेंस कोर लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप कुमार चहल,(एवीएसएम) से भी करवाई गई,जिनकी द्वारा उनसे उनका हाल चाल जाना गया व इंटेलिजेन्स कोर सदैव उनके साथ खड़ी है का आश्वासन दे उनकी हर संभव सहायता का भरोसा दिया। बलिदानी की पत्नी प्रभा थापा को गौरव पत्र, प्रशस्ति पत्र, शॉल, पदक व भगवान की एक मूर्ति दी गयी।

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