हरिद्वार

गरीबों को नहीं मिल पा रहा है समय रहते राशन

कॉलोनी में स्थित सरकारी गल्ले की दुकानें बनी चर्चा का विषय, कभी बंद तो कभी मिलती है खुली

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(ऋषभ चौहान) हरिद्वार। हरिद्वार तीर्थ नगरी में गरीबों को नही मिल पा रहा भरपेट राशन। चाहें सरकार कितने बड़े-बड़े वादे कर रही हो, लेकिन राशन डीलर सरकार की खुले आम धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे है, जो शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं सरकार गरीबों को सुख-सुविधाएं देने के नाम पर चाहें जितने भी दावे कर ले परंतु विभाग के अधिकारियों व कर्मचारीयों की सांठ-गांठ के चलते ये सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं, क्योंकि गरीबों को दिए जाने वाली सुख-सुविधांए अब महज कागजों तक ही सिमट कर रह गई है। वहीं शहर में चर्चा है कि कॉलोनी में स्थित कुछ सरकारी गल्ले की दुकाने कभी खुली हुई मिलती है तो कभी बंद, जिससे कार्ड धारकों को निराश होकर जाना पड़ता है। जिसका खामियाजा बेचारी गरीब जनता को भूखे पेट जिंदगी काटने को विवश होकर भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है कि केंद्र व राज्य सरकारें गरीबों को सुख-सुविधाएं देने का दम भरती फिरती हैं, परंतु हकीकत में आज गरीब जनता सरकारी राशन के लिए लंबी लंबी लाइनों में लगना यह साबित करता है की सरकारी गले की दुनाके समय रहते नही खुल रही है, जिसके चलते कार्ड धारकों को दर-दर की ठोंकरें खानी पड़ रही है। चर्चा है की विभागीय कर्मचारी कमीशन के चक्कर में इतने भ्रष्ट हो चुके हैं कि जिसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है कार्ड धारकों को गेहूं व चावल नहीं मिल पा रहा हैं। चर्चा है की मिलीभगत के चलते ही कार्ड धारकों को मात्र कुछ किलों गेहूं व चावल ही नसीभ हो रहे है अब ऐसे में कैसे गरीब पेट कैसे भरेगा इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है। इन कार्ड धारकों को ऊंट के मुंह में जीरा बराबर ही राशन मिल रहा है। वही गौरतलब है कि पूर्व में भी एसडीएम द्वारा बहादराबाद स्थित एक राइस मिल में कई कुंतल सरकारी चावलों का जखीरा पकड़ा था अब देखना यह होगा कि क्या विभागीय आलाधिकारी सरकारी गले की दुकान पर कार्यवाही कर गरीब लोगों को राशन दिलवाने में मदद करते हैं या नहीं, यह तो अब आने वाला वक्त ही बताएगा।

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