
हरिद्वार की गूंज (24*7)
(रवि चौहान) हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार में इन दिनों अवैध रूप से संचालित हो रहे सैलूनों का जाल फैलता जा रहा है। शहर के विभिन्न इलाकों में बिना किसी वैध लाइसेंस और पंजीकरण के कई सैलून धड़ल्ले से चल रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन सैलूनों में आने वाले ग्राहकों को बिल मांगने पर भी नहीं दिया जाता, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह सैलून सरकार को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) का भी चूना लगा रहे हैं। स्थानीय नागरिकों से मिली जानकारी के अनुसार इन अवैध सैलूनों में न तो साफ-सफाई का ध्यान रखा जाता है और न ही प्रशिक्षित कर्मचारी मौजूद होते हैं। कई सैलून तो घनी आबादी वाले क्षेत्रों और संकरी गलियों में बिना किसी सुरक्षा मानकों के चलाए जा रहे हैं, जिससे किसी भी अप्रिय घटना की आशंका बनी रहती है। ग्राहकों का कहना है कि जब वे बिल की मांग करते हैं, तो सैलून संचालक या तो आनाकानी करते हैं या फिर किसी भी प्रकार का बिल देने से साफ इनकार कर देते हैं। कुछ मामलों में तो ग्राहकों को मामूली रसीद थमा दी जाती है, जिसमें जीएसटी का कोई उल्लेख नहीं होता। इससे साफ जाहिर होता है कि यह सैलून गैरकानूनी तरीके से अपना कारोबार चला रहे हैं और सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं। शहर में इस तरह के अवैध सैलूनों की बढ़ती संख्या पर स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारियों की कथित बेरुखी हैरान करने वाली है। सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे इतने बड़े पैमाने पर अवैध कारोबार चल रहा है और जिम्मेदार अधिकारी इससे अनजान बने हुए हैं? क्या इन अवैध सैलून संचालकों को किसी का संरक्षण प्राप्त है?
इस मामले पर जब कुछ स्थानीय व्यापारियों से बात की जाए गई तो उन्होंने बताया कि वैध तरीके से अपना कारोबार चलाने वाले सैलून संचालक जीएसटी और अन्य करों का नियमित रूप से भुगतान करते हैं, जिससे उन्हें प्रतिस्पर्धा में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अवैध सैलून बिना किसी कर के कम दरों पर सेवाएं देकर ग्राहकों को आकर्षित करते हैं, जिससे वैध कारोबारियों को नुकसान होता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जिला प्रशासन और संबंधित विभाग इस गंभीर मामले पर कब संज्ञान लेते हैं और इन अवैध सैलूनों के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं। शहर के नागरिकों ने मांग की है कि इन अवैध सैलूनों के खिलाफ तत्काल अभियान चलाया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि सरकार को राजस्व का नुकसान न हो और ग्राहकों के हितों की रक्षा की जा सके। साथ ही, वैध कारोबारियों के लिए एक समान और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का माहौल भी सुनिश्चित किया जा सके।