देहरादून

छूटती परंपराएं, टूटते रिश्ते: श्वेता शर्मा

राजेश कुमार देहरादून प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) देहरादून। वरिष्ठ समाजसेविका श्वेता शर्मा ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा कि अग्नि के सात फेरे, मांग में सिन्दूर की रस्म कोई खानापूर्ति नहीं पवित्र बन्धन में बंधने वाले वैवाहिक जीवन की मर्यादा को समझना अति महत्वपूर्ण हो गया है। पति पत्नी के बीच आपसी प्रेम और अटूट रिश्ते को बनाए रखने का साधन हैं यह परंपराएं जिन्हें बड़ी तेजी से आज लोग छोड़ते जा रहे हैं। यह परंपराएं कोई बंधन नहीं हैं बल्कि इन सभी का सामाजिक और वैज्ञानिक महत्व भी हैं। पांव में बिछिया पहनना हमारे भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा है शादीशुदा महिलाओं की एक पहचान है ऐसी मान्यता है कि बिछिया पहनने से जहां पांव की सुंदरता बढ़ती है, वहीं इसके कई वैज्ञानिक लाभ भी है पांव की उंगलियों में बिछिया पहनने से खून का संचार बढ़ता है जिससे रक्त प्रभाव सही रहता है आध्यात्मिक तौर पर देखें तो बिछिया पहनने से समृद्धि आती है और भाग्य भी प्रबल होता है।

मांग में सिंदूर लगाना यह भी भारतीय संस्कृति का परिचायक है हमारे पूर्वजों ने एक शादीशुदा जोड़े के लिए कुछ नियम कुछ कायदे निश्चित किए थे जिसका बड़ा ही गहरा महत्व था उन्होंने आध्यात्मिक सामाजिक सांस्कृतिक और सबसे बढ़कर वैज्ञानिक तौर पर समाज को उच्च व स्वस्थ बनाए रखने के लिए कुछ नियम बनाएं जिसे हमारी संस्कृति का हिस्सा बनाया। वही परंपराएं आज तक चली आ रही है परंतु कुछ लोग मॉडर्निटी के नाम पर इन परंपराओं से छेड़छाड़ करते हैं जिसे आजका युवा वर्ग भ्रमित होता है इन्हीं कारणों से आज वह विवाह जैसे पवित्र बंधन को खेल समझने लगे हैं जिसका प्रभाव भारतीय समाज पर बड़ा गहरा पड़ रहा है। मांग में सिंदूर लगाना हमारी परंपरा का हिस्सा भी है। ऐसी मानता है कि नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा पर चढ़ा सिंदूर पति यदि पत्नी की मांग में भरता है तो पति-पत्नी के बीच प्रेम का संबंध गहरा होता है व मां भगवती का आशीर्वाद वैवाहिक जोड़े को मिलता है। सिंदूर को परम सौभाग्य का सूचक भी माना जाता है। वैज्ञानिक तौर पर देखें तो महिलाओं के मस्तक का ऊपरी भाग ज्यादा संवेदनशील होता है। सिंदूर में पारा धातु होती है जिसे मांग में लगाने से विद्युत ऊर्जा नियंत्रित रहती है व नकारात्मक विचार आपसे दूर रहते हैं। इसलिए विज्ञान भी यह मानता हैं कि विवाह के बाद महिलाओं का सिंदूर लगाना लाभकारी होता है।मंगलसूत्र पति के द्वारा पत्नी को पहनने की परंपरा है,इसे पति-पत्नी दोनों का ही रक्षा कवच माना जाता है। आदि गुरु शंकराचार्य ने अपनी पुस्तक सौंदर्य लहरी में भी इसका उल्लेख किया है। वैज्ञानिक तौर पर देखें तो मंगलसूत्र में काले मोती और सोने की चेन की चेन रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। माथे पर बिंदी लगाना न केवल भारतीय संस्कृति का परिचायक है बल्कि धार्मिक आस्था को भी बल प्रदान करता है। माथे पर बिंदी लगाने से आज्ञा चक्र जागृत करने में भी मदद मिलती है।इसी सौभाग्यवती होने का सूचक भी माना जाता है।

आज के समय में वैवाहिक जीवन में मर्यादा खत्म होती जा रही है जो कि चिन्ता का विषय है। वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने के बाद एक दूसरे के प्रति समर्पण होने से ही जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है न कि पति पत्नी के रिश्ते को समाज में सिर्फ़ दिखावे के लिए साथ रहना।
हालांकि यह भी सत्य है कि आज भी कई जगह पति पत्नी वैवाहिक जीवन में एक दूसरे के हर दुःख सुख के साथी बनकर अपना धर्म निभा रहे हैं। वैसे भी शास्त्रों के अनुसार सिर्फ़ एक पति पत्नी के रिश्ते में ही अग्नि के सात फेरे लेकर एक दूसरे की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए वचन दिए जाने की रस्म पूर्ण करने के बाद ही विवाह सम्पन्न माना जाता है। लेकिन आज यह सब रस्में सिर्फ़ खानापूर्ति तक ही देखने को मिल रही हैं जिससे मामूली सी बात पर पवित्र बन्धन टूटते दिखाई दे रहे हैं जो भविष्य के लिए चिन्ता का विषय है। जबकि आज विवाह समारोह में उन सब बातों को अधिक महत्व दिया जाता है जिनका वैवाहिक जीवन में कोई लेना देना नहीं है। विवाह के अवसर पर दिखावा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जो हर वर्ग के व्यक्ति के लिए संभव नहीं होता है।

यह बात अच्छी है कि अच्छे जीवन के लिए शिक्षा का होना महत्वपूर्ण है। लेकिन साथ ही रिश्तों की मर्यादा को भी समझना अति महत्वपूर्ण है। कभी कभी पति पत्नी मामूली सी बात पर रिश्तों को पल भर में खत्म करने के लिए आसानी से राजी हो जाते हैं जबकि ऐसे समय में थोड़ा सा संयम रखते हुए एक दूसरे को समझना चाहिए। आज पति पत्नी के बीच किसी अन्य व्यक्ति की बात पर भरोसा करने से रिश्तों में गलत फहमियां उत्पन्न हो रही हैं। जबकि एक दूसरे की सच्चाई को समझने की कोशिश करनी चाहिए। पति पत्नी के रिश्ते में एक दूसरे के प्रति विश्वास होना चाहिए। आज हर समाज को पति पत्नी के रिश्तों में आ रही दूरियों को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।तभी भारतीय समाज पूर्व काल की भांति एक स्वस्थ्य सुसंस्कृत समाज का परिचयक बनेगा।

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