हरिद्वार

स्वामी विवेकानंद को दी गई भावपूर्ण श्रद्धांजलि

कुलदीप राय उत्तराखंड प्रभारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(कुलदीप राय) हरिद्वार। भारतीय अध्यात्म चेतना के सजग प्रहरी चिंतक, विचारक स्वामी विवेकानंद की आज मिथिलेश सनातन धर्म इंटर कॉलेज कनखल में 159 वी जयंती श्रद्धा पूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई, और उनके द्वारा बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया। त्याग मूर्ति गोस्वामी गणेश दत्त सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया और पुष्प चढ़ाए गए। इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद पर शोध करने वाली चिंतक विचारक लेखिका डॉ० राधिका नागरथ ने कहा कि स्वामी का जीवन प्रेरणादाई है, उनके विचार हर युग में प्रासंगिक रहेंगे। उन्होंने भारत को पूरे विश्व में अलग पहचान दिलाई। डॉक्टर नागरथ ने स्वामी विवेकानंद जी के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वामी जी का जन्म 12 जनवरी सन्‌ 1863 को हुआ। उनका घर का नाम नरेंद्र दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेंद्र को भी अंग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढंग पर ही चलाना चाहते थे। परंतु नरेंद्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। इस हेतु वे पहले ब्रह्म समाज में गए किंतु वहां उनके चित्त को संतोष नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि सन्‌ 1884 में स्वामी जी के पिता विशेश्वर दत्त जी का निधन हो गया की और घर की सारी जिम्मेदारी नरेंद्र पर आ गई। घर की आर्थिक दशा बहुत खराब थी। नरेंद्र का विवाह नहीं हुआ था। अत्यंत गरीबी में भी नरेंद्र बड़े अतिथि सेवा भाव वाले थे। स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते, स्वयं बाहर वर्षा में रातभर भीगते-ठिठुरते पड़े रहते और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते। उन्होंने बताया कि स्वामी के जीवन में नया मोड़ तब आया जब वे ठाकुर रामकृष्ण परमहंस की प्रशंसा सुनकर उनके पास मिलने गए और परमहंस रामकृष्ण जी के होकर ही रह गए ठाकुर ने नरेंद्र को देखते ही पहचान लिया कि ये तो वही शिष्य है जिसका उन्हें कई सालों से इंतजार था। ठाकुर की कृपा से इनको आत्म-साक्षात्कार हुआ फलस्वरूप नरेंद्र परमहंस के शिष्यों में प्रमुख हो गए। संन्यास लेने के बाद इनका नाम विवेकानंद हुआ। इस अवसर पर कॉलेज के स्टाफ ने स्वामी जी के चित्र पर माल्यार्पण किया और साथ ही संस्था के संस्थापक त्यागमूर्ति गोस्वामी गणेश दत्त की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया गया। डॉ राधिका नागरथ ने घोषणा की कि त्यागमूर्ति गोस्वामी गणेश दत्त की प्रतिमा के पास ठाकुर स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी और उनके अनन्य शिष्य स्वामी विवेकानंद की संगमरमर की प्रतिमा लगाई जाएगी। इस अवसर पर कॉलेज की प्रबंध समिति के सदस्य पूर्व प्रबंधक सुनील पांडे कॉलेज के स्टाफ मेंबर गंभीर सिंह राणा, नितिन कुमार, हेमचंद्र जोशी, गौरव आदि उपस्थित थे।

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