देहरादून

आठ दिन बाद भी नीरज फॉरेस्ट रिजॉर्ट के संचालक एवं प्रबंधन निदेशक की नहीं हुई गिरफ्तारी

चर्चा: आखिर इतने दिन बाद तक भी पुलिस के हाथ खाली, कब होगी गिरफ्तारी

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(राजेश कुमार) देहरादून। उत्तराखंड के पौड़ी जिले के लक्ष्मण झूला थाना क्षेत्र स्थित नीरज फॉरेस्ट रिजॉर्ट में आठ दिन पूर्व देर रात को अवैध कसीनों का खेल चल रहा था। जिसकी सटीक सूचना पर पौड़ी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्वेता चौबे के निर्देशन में तत्काल पुलिस टीम द्वारा रिजॉर्ट में देर रात को ही छापा मारा था, जिसमें मौके पर पांच महिलाओं सहित करीब तीन दर्जन लोगों को जुआ खेलते हुए और शराब पीते हुए हिरासत में ले लिया था। वहीं पुलिस को पांच लाख रुपए नगद एवं लग्जरी गाड़ियां व भारी मात्रा में शराब की बोतलें ताश की गड्डियां मोबाइल फोन भी बरामद हुए थे। हिरासत में लिए गए सभी आरोपीयों के विरूद्ध कार्रवाई तक की गई थी। वहीं रिजॉर्ट के संचालक नीरज मिर्गी हॉस्पिटल के डॉक्टर आर०के गुप्ता एवं प्रबन्ध निदेशक साहिल ग्रोवर पर भी मामला दर्ज किया गया था। शहर में चर्चा है की पौड़ी पुलिस द्वारा आज आठ दिन बीत जाने के बाद भी इन दोनों आरोपीयों की गिरफ्तारी नहीं की गई है। जानकारी के मुताबिक नीरज फॉरेस्ट रिजॉर्ट के संचालक आर०के गुप्ता एवं प्रबन्ध निदेशक साहिल ग्रोवर की गिरफ्तारी के लिए उनके हॉस्पिटल में दबिश दी गई थी लेकिन दोनों ही मौके पर नहीं मिले। वहीं इस बाबत पर जांच कर रहें उप निरीक्षक प्रदीप कुमार धीमान ने बताया कि अभी तक दोनों आरोपीयों की गिरफ्तारी नहीं हुई है वहीं पुलिस जांच पड़ताल में लगी हुई है।

उल्लेखनीय है की देवभूमी उत्तराखंड में यह पहला मामला नहीं है इससे पूर्व में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां बड़े बड़े होटल, रिजॉर्ट में अवैध काम किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ऋषिकेष शहर में चर्चा है कि नीरज फॉरेस्ट रिजॉर्ट में यह गोरख धंधा पिछले काफी समय से ही चल रहा था, लेकिन मिलीभगत के चलते रिजॉर्ट के संचालक एवं प्रबंधन पर कोई कार्यवाही नहीं होती थी। जिससे दिन रात सरेआम बड़े बड़े लोग यहां अय्याशी कर लाखों रुपए का जुआ खेलने आते थे। अब सवाल यह उठता है कि जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार द्वारा कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने में लगे हैं, तो वहीं ऐसे रिजॉर्ट संचालकों द्वारा करोडों रूपए के वारे न्यारे करने के चक्कर में अवैध काम चला रहे हैं जिससे देवभूमि उत्तराखंड की मर्यादा को भी तार तार भी किया जा रहा है।

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