हरिद्वार

महिला दिवस: हर पल को रोशन करने वाली वह एक शक्ति है नारी: शिवानी गौर

रजत चौहान प्रधान सम्पादक

हरिद्वार की गूंज (24*7)
(रजत चौहान) हरिद्वार। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए शिवानी गौर ने कहा की अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पूर्ण रूप से एक नारी के संघर्ष की गाथा को प्रकट करता है। इस दिन हजारों वर्षों से शोषण को झेल रही महिलाओं के संघर्ष की याद दिलाता है, जो आडंबर से त्रस्त होकर तो कभी परिवार के सम्मान के नाम पर उनके साथ होता आ रहा था। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत आज से लगभग एक सदी पूर्व एक समाजवादी आंदोलन के माध्यम से हुई थी, जो की एक श्रम आंदोलन से उपजा था, इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को वार्षिक रूप से मनाने की मान्यता दी थी। यूं तो महिलाओं के बिना जीवन संभव ही नहीं है इसलिए कामायनी में जयशंकर प्रसाद ने महिलाओं के सम्मान में कहा है। नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास रजत नग पग तल में। पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुंदर-समतल में। महिला सशक्तिकरण के लिए यह अति आवश्यक है कि महिलाओं के प्रति होने वाले हर तरह के शोषण और भेदभाव को समाप्त किया जाए। और महिलाओं के लिए ऐसा वातावरण तैयार किया जाए जिसमें मैं खुद को सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर सकें। महिलाओं की भावनात्मक कोमलता का फायदा सबसे ज्यादा उठाया जाता है, यूं तो सभी लोग महिलाओं को बराबर सम्मान और भागीदारी देने की बात करते हैं परंतु यह सत्य है की एक मजबूत महिला के अस्तित्व को संपूर्ण सम्मान के साथ स्वीकार करना अभी भी समाज के लिए मुश्किल हो जाता है। यदि संपूर्ण पुरुष वर्ग इस संकल्प के साथ अग्रसर है कि महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव और अपराधों को कम किया जाए तो सबसे पहले अपनी सोच में सबको परिवर्तन करना होगा, तथा पुरुष प्रधानता के विचार को छोड़कर नारी के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देना पड़ेगा। आज के परिपेक्ष में अगर विचार करें तो हमें पाएंगे कि महिलाओं को जब भी अवसर दिया गया तब तब उन्हें उन्होंने पूरे विश्व को बता दिया कि वह पुरुष के बराबर ही नहीं बल्कि कई मौकों पर वह उनसे कई गुना बेहतर साबित हुई है। आज विश्व पटेल पर महिलाएं नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है और हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन कर रही है, रविंद्र नाथ टैगोर के शब्दों में अगर हम पढ़े तो कहा गया है, की नारी सृष्टिकरता की सर्वोत्तम कृति है वह सृष्टि के संपूर्ण सौंदर्य को आत्मसात करती है। इसलिए किसी भी नारी का मानसिक तथा शारीरिक शोषण करने का अर्थ है इस संपूर्ण सृष्टि की प्रकृति का अपमान करना। कोई भी देश यश के शिखर पर तब तक नहीं पहुंच सकता जब तक उसकी महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर ना चले। यू तो शब्दों की सीमा निश्चित नही की जा सकती इस विषय पर नारी के जीवन की धारा को इन पक्तियो से परिभाषित किया जा सकता है।

मुस्कुरा कर दर्द को भूल कर, रिश्तो में बंद जिसकी दुनिया सारी।।
हर पल को रोशन करने वाली वह शक्ति है एक नारी।।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।

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