हरिद्वार

आयुष्मान योग मे मनाई जाएगी दीपावली, तुला राशि मे संचारण करेंगे चंद्र देव

1 नवम्बर को पूरे दिन अमावस्य ग्राहिए, 3 शुभ समय महूर्त मे करे महालक्ष्मी पूजन: आचार्य विकास जोशी

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(रवि चौहान) हरिद्वार। आचार्य विकास जोशी नारायण ज्योतिष संस्थान रजि० ने जानकारी देते हुए बताया कि महालक्ष्मी पूजन एवं दीपावली का महापर्व कार्तिक अमावस्या में प्रदोष काल हो तो विशेष रूप से शुभ होता है, प्रस्तुत वर्ष कार्तिक अमावस्या का प्रदोष काल के साथ सैयोग दो दिन हो रहा है, तारीख 31 अक्टूबर 2024 को अमावस्या तिथि अपराहन 3:53 मिनट से प्रारंभ होकर के 1 नवंबर 2024 को शाम 6:17 तक व्याप्त रहेगी। इस प्रकार 31 अक्टूबर 2024 को अमावस्या प्रदोष अर्धरात्रि व्यापिनी होगी तथा 1 नवंबर 2024 को केवल प्रदोष व्यपनी रहेगी परंतु शास्त्र निर्देशानुसार 2 दिन प्रदोष व्यापनी कार्तिक अमावस्या होने पर अगले दिन ही दीपावली महालक्ष्मी पूजन पर्व मनाया जाना चाहिए। अतः दिवाली पर्व 1 नवंबर शुक्रवार 2024 के दिन ही मनाया जायेगा। दीपावली पर्व पर स्वती नक्षत्र आयुष्मान योग तुला राशि चंद्रमा युक्त होने से सारा दिन अमावस्य ग्रहणीय होगी। 1 नवंबर 2024 को सूर्य अस्त 05 35 मिनट पर होगा वहीं प्रदोष काल 5 :35 मिनट से 8:14 तक व्याप्त रहेगा 6:22 से 8:17 तक वृष लग्न रहेगा जो की स्थिर लग्न है। इसी काल मे दीपदान श्री महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, बही खाता पूजन, धर्म एवं गृह स्थलों पर दीपक करना ब्राह्मण सेवा भेट ओर मिष्ठान आदि बांटना शुभ होगा। श्री महालक्ष्मी पूजन 1 नवंबर 2024 निशिथ काल श्री महालक्ष्मी पूजन 1 नवंबर 2024 निशिथ कालरात्रि का पूजन 8:14 से 10:52 तक रहेगा इस समय लाभ की चौघड़िया रहेगी यह भी अत्यंत शुभ समय है। श्री महालक्ष्मी पूजन 1 नवंबर 2024 महा निशिथ काल 10:52 से से 1:30 तक महा निशिथ कल रहेगा जिसमें की 12:11 से 1:50 तक शुभ की चौघड़िया रहेगी जो की पूजन के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। अतः इस अवधि में काली उपासना तंत्र आदि क्रियाएं विशेष काम में प्रयोग तंत्र अनुष्ठान साधना यज्ञ आदि किया जाते हैं अतीब इसका प्रारंभ 10:32 से पहले लाभ की चौघड़िया में कल लेना चाहिए। इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर के दैनिक कृतिय से निवृत हो पत्रगण तथा देवताओं का पूजन करना चाहिए संभव हो तो दूध दही और घी से पितरों का श्राद्ध करना चाहिए यदि संभव हो तो एक भुक्त उपवास कर गोधूलि बेला सूर्यास्त के समय में अथवा कुंभ वृष सिंह आदि स्थिर लग्न में श्री गणेश कलश लक्ष्मी एवं नवग्रह का पूजन करना चाहिए इसके अनंतर महाकाली का दावात के रूप में तथा मा सरस्वती का कलम बही खाता के रूप में तथा कुबेर का तुला के रूप में पूजन करना चाहिए दीपावली पूजन के पश्चात घर में चौमुखा दीपक रात्रि भर प्रज्वलित रखना सौभाग्य एवं लक्ष्मी वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। दीपावली पर भगवती लक्ष्मी का समारोह पूर्वक आवाहन करना चाहिए तथा सविधि सहित उनकी पूजा करनी चाहिए शुभ मुहूर्त में किसी स्वच्छ एवं पवित्र स्थान पर हल्दी अक्षत पुष्प आदि से अष्ट कमल बना करके श्री महालक्ष्मी का आवाहन पूजन करना चाहिए।

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